क्या मंगल को शांत किया जा सकता उज्जैन मे पूजा करके
उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में मंगल दोष निवारण भात पूजा भारतीय ज्योतिष शास्त्र में मांगलिक दोष निवारण का एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है। यह पूजा मनुष्य के जीवन में मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को शांत करने या कम करने और शुभ फल प्राप्त करने के लिए की जाती है। लेकिन पूजा के बाद कुछ खास नियमों का पालन करना आवश्यक होता है ताकि पूजा का प्रभाव बना रहे।
उज्जैन मे मंगल दोष पूजा के लाभ
उज्जैन मे मंगल दोष पूजा के कई रूप से फायदे है, क्योकि इस पूजा के लिए उज्जैन सबसे उचित स्थान है।
- मंगलनाथ मंदिर में पूजा करने से मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं.
- मंगल दोष की वजह से होने वाली समस्याएं दूर होती हैं.
- मंगल दोष की वजह से होने वाले रिश्ते में तनाव, घर में अनहोनी घटनाएं, काम में बाधाएं, क्षति, और दंपत्ति की अकाल मृत्यु जैसी समस्याएं दूर होती हैं.
- मंगल दोष की वजह से होने वाले ऋण, गरीबी और त्वचा की समस्याओं से राहत मिलती है.
क्या मंगल को शांत किया जा सकता उज्जैन मे पूजा करके?
हां, उज्जैन में मंगल दोष निवारण पूजा करने से मंगल दोष दूर किया जा सकता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, मंगल दोष को दूर करने के लिए यह एक अहम उपाय है। इस उपाय को करने के बाद जातक अपने विवाह मे हो रही देरी या किसी प्रकार की बाधा से छुटकारा पा सकते है।
यदि आपकी जन्म कुंडली मे भी मंगल दोष है और आप इससे मुक्त होना चाहते है तो अवस्य ही आपको उज्जैन मे मंगल दोष निवारण पूजा सम्पूर्ण करे ओर इस दोष से मुक्ति पाये और अपने दैनिक जीवन मे आ रही परेशानियों से छुटकारा पाये।
उज्जैन मे मंगल दोष पूजा कैसे कराये?
यदि आप भी उज्जैन मे मंगल दोष निवारण पूजा करवाना चाहते है तो आपको एक गुणवान और अनुभवी पंडित की अवयसकता होगी जो की आपकी पूजा को सम्पन्न करने मे आपकी सहयता करेंगे और उज्जैन के प्रसिद्ध पंडित हरिओम शर्मा जी से संपर्क कर सकते है।
पंडित हरिओम शर्मा उज्जैन के सबसे प्रतिष्ठित पंडितों में से एक हैं। उन्हें विशेष रूप से मंगल दोष पूजा और अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है। उनके पास ज्योतिष और मंगल दोष पूजा का 25 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उनकी सटीक भविष्यवाणियों और गहन ज्योतिषीय ज्ञान के कारण लोग उन पर पूरा विश्वास करते हैं।
पंडित हरिओम शर्मा मंगल दोष पूजा को विधि-विधान से संपन्न करने में निपुण हैं। उन्हें इस दोष की गहरी समझ है और वे प्राचीन ग्रंथों व वेदों के अनुसार पूजन करते हैं। उनकी पारंपरिक पूजा पद्धतियाँ पूरी शुद्धता और श्रद्धा के साथ संपन्न की जाती हैं, जिससे साधकों को सर्वोत्तम लाभ और ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त होता है।