कालसर्प दोष पूजा उज्जैन
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कालसर्प दोष क्या है?
कालसर्प दोष हिंदू ज्योतिष में एक विशेष योग है, जिसे व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव डालने वाला दोष माना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तो इसे कालसर्प दोष कहा जाता है। राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है, और इनकी स्थिति व्यक्ति के जीवन में कई तरह की चुनौतियां और बाधाएं उत्पन्न कर सकती है। यह दोष तब बनता है जब राहु और केतु, जो कुंडली में हमेशा एक-दूसरे के विपरीत होते हैं, सभी ग्रहों को अपने घेरे में ले लेते हैं। इस स्थिति को अशुभ और व्यक्ति के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली स्थिति मानी जाती है। कालसर्प दोष 12 प्रकार के होते हैं, जैसे अनंत कालसर्प दोष, कुलिक कालसर्प दोष, वासुकी कालसर्प दोष आदि, और प्रत्येक दोष का प्रभाव व्यक्ति के जीवन के विभिन्न हिस्सों पर अलग-अलग प्रकार से होता है।
कालसर्प दोष का प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य, करियर, पारिवारिक जीवन, आर्थिक स्थिति, और मानसिक शांति पर पड़ता है। यह दोष व्यक्ति के जीवन में असफलता, भय, मानसिक तनाव, और रिश्तों में समस्याओं का कारण बन सकता है। इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को अपने प्रयासों के बावजूद सफलता प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है, और उसके जीवन में बार-बार बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। कालसर्प दोष का प्रभाव व्यक्ति के स्वाभाव और निर्णय लेने की क्षमता पर भी देखा जा सकता है। इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, जैसे बार-बार बीमार पड़ना या किसी गंभीर रोग का शिकार होना आदि हो सकता है।
कालसर्प दोष के लक्षण :-
कालसर्प दोष के लक्षण व्यक्ति के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर देखने को मिलते हैं और इसे कुंडली में राहु और केतु की विशेष स्थिति के आधार पर पहचाना जाता है। इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को अपने जीवन में लगातार चुनौतियों और बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इस दोष के सामान्य लक्षणों में मानसिक अशांति और अस्थिरता शामिल है।
व्यक्ति को नींद में बाधा, डरावने सपने, या सांपों से संबंधित सपने बार-बार दिखाई दे सकते हैं। इसके अलावा, इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को अपने करियर और व्यवसाय में असफलता, लगातार नुकसान, या अवसरों की कमी का अनुभव हो सकता है।
रिश्तों में तनाव और पारिवारिक जीवन में कलह भी कालसर्प दोष का एक प्रमुख लक्षण है। इस दोष से प्रभावित व्यक्ति के संबंधों में खटास और गलतफहमियां बढ़ सकती हैं, जिससे पारिवारिक और सामाजिक जीवन में कठिनाइयां उत्पन्न होती हैं।
आर्थिक रूप से, व्यक्ति को धन की कमी, उधारी, या वित्तीय अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।
शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से, व्यक्ति को बार-बार बीमार पड़ना, गंभीर रोगों का शिकार होना, या स्वास्थ्य समस्याओं से लंबे समय तक जूझना पड़ सकता है।
कालसर्प दोष से ग्रसित व्यक्ति को निर्णय लेने में कठिनाई, आत्मविश्वास की कमी, और जीवन में भय और अनिश्चितता का अनुभव हो सकता है। व्यक्ति को ऐसा महसूस हो सकता है कि उनके प्रयासों के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिल रही है।
इसके अतिरिक्त, उनके जीवन में अचानक से किसी बड़ी समस्या या हादसे का सामना करना पड़ सकता है। इन लक्षणों के कारण व्यक्ति को निराशा और हताशा का अनुभव हो सकता है। कालसर्प दोष का प्रभाव व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में भी बाधा डाल सकता है, जिससे वह पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों में अरुचि महसूस कर सकता है
कालसर्प दोष के उपाय
कालसर्प दोष के प्रभावों को कम करने के लिए ज्योतिष में कई वैदिक उपाय दिये गए हैं, जो व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि लाने में मदद करते हैं। सबसे प्रभावी उपायों में से एक कालसर्प दोष पूजा है, जिसे कुशल और अनुभवी पंडितों द्वारा संपन्न किया जाता है। इस पूजा में विशेष मंत्रों का जाप, हवन और नागदेवता की आराधना की जाती है, जो दोष के नकारात्मक प्रभावों को शांत करने में सहायक होते हैं। उज्जैन जैसे पवित्र स्थान पर यह पूजा करना अधिक शुभ और प्रभावी मानी जाती है। कालसर्प दोष के कुछ सरल एवं प्रभावी उपाय निम्नलिखित है :-
कालसर्प दोष पूजा: कुशल और अनुभवी पंडित द्वारा विशेष रूप से कालसर्प दोष शांति पूजा करवाएं। उज्जैन जैसे पवित्र स्थान पर यह पूजा कराना अधिक प्रभावी मानी जाती है।
शिवलिंग की पूजा: प्रतिदिन शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करें। सोमवार को विशेष रूप से शिवजी की आराधना करें।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप: प्रतिदिन या किसी विद्वान पंडित की सहायता से 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। यह मन और आत्मा को शांति प्रदान करता है।
राहु-केतु शांति पूजा: राहु और केतु ग्रह के अशुभ प्रभावों को शांत करने के लिए विशेष पूजा करवाएं।
नागदेवता की पूजा: नाग पंचमी के दिन नागदेवता की पूजा करें और उन्हें दूध अर्पित करें।
पीपल के वृक्ष की पूजा: शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीया जलाएं और सात बार उसकी परिक्रमा करें।
दान और सेवा: चांदी का नाग-नागिन दान करें। गरीबों को भोजन कराएं, वस्त्र दान करें, और जरूरतमंदों की सहायता करें।
सर्पसूक्त और धार्मिक ग्रंथों का पाठ: सर्पसूक्त, भगवद गीता, या विष्णु सहस्रनाम का नियमित पाठ करें।
सरल जीवनशैली अपनाएं: क्रोध, अहंकार, और नकारात्मकता से बचें। नियमित ध्यान और साधना करें।
त्रिफला का सेवन: शारीरिक और मानसिक शांति के लिए त्रिफला का सेवन करना लाभकारी हो सकता है
कालसर्प दोष पूजा क्या है? पूजा कैसे कराएं? कितना खर्च आता है?
कालसर्प दोष पूजा क्या है?
कालसर्प दोष पूजा एक विशेष वैदिक अनुष्ठान है। यह पूजा व्यक्ति की जन्म कुंडली में उपस्थित कालसर्प दोष के नकारात्मक प्रभावों को शांत करने के लिए की जाती है। यह दोष तब बनता है जब कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य, करियर, संबंध, और मानसिक शांति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कालसर्प दोष पूजा में भगवान शिव और नागदेवता की विशेष आराधना की जाती है, साथ ही हवन, मंत्र जाप और अन्य विधियां संपन्न की जाती हैं, जो दोष को शांत करने और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने में सहायक होती हैं।
कालसर्प दोष पूजा कैसे कराएं?
सर्वप्रथम स्थान का चुनाव करें, उज्जैन भगवान शिव की प्रसिद्ध प्राचीन व पवित्र नगरी मनी जाती है। यहाँ पूजा कराना अत्यंत प्रभावशाली एवं फलदायक होता है। दोष निवारण पूजा, विशेषकर कालसर्प दोष, पितृ दोष, मंगल दोष और शनि दोष जैसी समस्याओं के निवारण के लिए उज्जैन को एक आदर्श स्थान माना जाता है। उज्जैन में दोष निवारण पूजा का महत्व इस बात से भी बढ़ जाता है कि यहां के पंडित वैदिक अनुष्ठानों और दोष निवारण विधियों में अत्यंत निपुण होते हैं। वे मंत्रों और विधियों का पालन पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक करते हैं, जिससे पूजा का प्रभाव और भी बढ़ जाता है। उज्जैन में नाग पंचमी, श्रावण मास और महाशिवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर दोष निवारण पूजा अधिक प्रभावी मानी जाती है।
कालसर्प दोष पूजा का खर्च कितना आता है?
कालसर्प दोष पूजा का खर्च स्थान, पंडित की विशेषज्ञता, और पूजा की जटिलता के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। उज्जैन जैसे स्थान पर इस पूजा का खर्च आमतौर पर ₹2500 से शुरू होता है। यह पूजा शुल्क कम ज्यादा हो सकता है इसकी सटीक जानकारी के लिए पंडित को दिये गए नंबर पर कॉल करे और सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें।
उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा बुक करें
उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा कराने के लिए यहाँ के अनुभवी पंडित हरिओम शर्मा जी से संपर्क करें एवं अपनी कुंडली से दोष का समापन कराएं। पंडित जी को दोष निवारण पूजाओं का 15 वर्षों से अधिक अनुभव प्राप्त है ओर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करें
Pandit For Kaal Sarp Puja In Ujjain FAQ's
A: Kaal Sarp Dosha is a concept in Hindu astrology where all the planets are placed between the shadow planets Rahu and Ketu in a person’s birth chart. It is believed to have malefic effects on various aspects of life, causing obstacles, delays, and difficulties.
A: The puja is performed to reduce or eliminate the adverse effects of Kaal Sarp Dosh and bring positive energy and harmony into one’s life.
A: Pandit Hariom Sharma is the best pandit and astrologer in ujjain.
A: The effects of Kaal Sarp Dosha may vary depending on the individual’s birth chart and the planetary positions. It is generally believed to create challenges in career, relationships, health, and overall well-being. These effects can manifest as financial problems, marital discord, lack of stability, and spiritual obstacles.
A: Ujjain is home to several renowned temples and astrological centers where you may find priests and astrologers who can guide you regarding Kaal Sarp Dosha puja. Mahakaleshwar Temple, Mangalnath Temple, and Harsiddhi Temple are some of the prominent places in Ujjain where you can inquire about performing the puja.
A: The duration of the puja can vary depending on the specific rituals performed and the preference of the person conducting it. It may range from a few hours to a full day, or even multiple days in some cases.
A: The rituals for Kaal Sarp Dosha puja typically include recitation of specific mantras, offering prayers to deities, performing homam (fire ritual), and offering donations to priests or the needy. The exact rituals may differ based on the traditions followed by the place or the priest conducting the puja.