मंगल दोष और मांगलिक दोष में क्या अंतर होता है? जाने कारण
मंगल ग्रह (Mars) को ऊर्जा, साहस, आत्मविश्वास और कर्मशक्ति का प्रतीक माना गया है। मंगल जब कुंडली में शुभ स्थान पर होता है, तो व्यक्ति को नेतृत्व, सफलता और जीवन में स्थिरता प्रदान करता है। लेकिन जब यही ग्रह अशुभ भावों में स्थित होता है, तो वह मंगल दोष या मांगलिक दोष का कारण बन जाता है। यह दोष जीवन के कई क्षेत्रों, विशेषकर विवाह और पारिवारिक सुख को प्रभावित करता है।
मंगल दोष या मांगलिक दोष कोई अभिशाप नहीं, बल्कि कर्म और ग्रहों की ऊर्जा का परिणाम है। यदि उज्जैन में मंगल दोष पूजा, मंत्र, दान और संयम का पालन किया जाए, तो मंगल ग्रह व्यक्ति को साहस, सफलता, प्रतिष्ठा और वैवाहिक सुख प्रदान करता है।
मंगल दोष और मांगलिक दोष में क्या अंतर है?
मंगल दोष और मांगलिक दोष को ज्यादातर एक ही समझ लिया जाता है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र में इनके बीच कुछ अंतर है। मंगल दोष एक सामान्य ज्योतिषीय स्थिति है जो तब बनती है जब कुंडली के किसी भी भाव में मंगल ग्रह की स्थिति नकारात्मक प्रभाव डालती है – चाहे वह लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव हो या अन्य कोई।
वहीं मांगलिक दोष मंगल दोष का ही एक विशेष रूप है, जो मुख्य रूप से विवाह और दांपत्य जीवन से जुड़ा होता है। इसे कुज दोष या भौम दोष भी कहते हैं और यह तभी सक्रिय माना जाता है जब मंगल लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में हो।

मंगल दोष क्या होता है?
जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह लग्न (1st), चतुर्थ (4th), सप्तम (7th), अष्टम (8th) या द्वादश (12th) भाव में बैठा होता है, तो यह स्थिति मंगल दोष (Mangal Dosh) कहलाती है।
इन भावों को “मांगलिक भाव” कहा गया है, क्योंकि ये जीवन के भावनात्मक और वैवाहिक पहलुओं से जुड़े होते हैं।
मंगल का अशुभ स्थान व्यक्ति के जीवन में तनाव, क्रोध, विवाह में विलंब और रिश्तों में मतभेद जैसी स्थितियाँ पैदा कर सकता है।
इस दोष के बनने का मुख्य कारण है- मंगल ग्रह का अशुभ भावों में होना, जिसके प्रभाव से पूरे जीवन में तनाव, असफलता और स्वास्थ्य समस्याएँ देखने को मिलती है। इन प्रभावों के लिए ज्योतिष में निवारण के उपाय दिये गए है- उज्जैन में मंगल शांति पूजा या रुद्राभिषेक विधिवत रूप से कराना ।
मांगलिक दोष क्या है?
मांगलिक दोष उसी स्थिति को कहते हैं जब मंगल का प्रभाव विशेष रूप से व्यक्ति के विवाह जीवन और वैवाहिक योग को बाधित करता है। यानी हर मांगलिक दोष मंगल दोष तो होता है, लेकिन हर मंगल दोष मांगलिक नहीं होता।
यह दोष व्यक्ति की भावनात्मक स्थिरता, जीवन साथी के साथ तालमेल, और वैवाहिक सुख को प्रभावित करता है। मांगलिक होने का मुख्य कारण है विवाह संबंधी भावों में मंगल की स्थिति। जिसके कारण वैवाहिक जीवन में विलंब, मतभेद और अस्थिरता देखने को मिलती है जिसके समाधान के लिए मांगलिक दोष निवारण पूजा या हनुमान आराधना उज्जैन में अनुभवी पंडितो की उपस्थिती में पूरी विधि के साथ सम्पन्न कराई जाती है।
मंगल दोष के प्रमुख कारण क्या है?
इन सभी कारणों से मंगल दोष या मांगलिक प्रभाव बढ़ जाता है। ये कारण निम्नलिखित है:
- जन्म कुंडली में मंगल का अशुभ भावों में होना।
- मंगल पर राहु, केतु या शनि का दृष्टि प्रभाव।
- मंगल का नीच राशि (कर्क) में होना।
- मंगल ग्रह का अत्यधिक प्रबल या क्रूर ग्रहों से युति होना।
मंगल दोष और मांगलिक दोष के लक्षण कौन-कौन से है?
मंगल दोष वाले व्यक्ति के जीवन में निम्नलिखित संकेत दिखाई दे सकते हैं —
- विवाह में देरी या बार-बार रिश्तों का टूटना।
- वैवाहिक जीवन में अस्थिरता और असंतोष।
- क्रोधी स्वभाव, जल्दबाजी और अधीरता।
- आर्थिक अस्थिरता या अचानक धन हानि।
- पारिवारिक विवाद या असहमति की स्थिति।
मंगल दोष को दूर करने के प्रमुख उपाय कौन-कौन से है?
मंगल दोष शांति पूजा उज्जैन
सबसे प्रभावी उपाय है मंगल दोष शांति पूजा (Mangal Dosh Nivaran Puja)। यह पूजा विशेष रूप से उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर या त्र्यंबकेश्वर (नासिक) में कराई जाती है। इसमें —
- मंगल बीज मंत्र जप,
- रुद्राभिषेक,
- हवन,
- और मंगल होम किया जाता है।
मंत्र: “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः॥”
यह पूजा मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करती है और वैवाहिक जीवन को स्थिर करती है।
हनुमान जी की आराधना
मंगल ग्रह का सीधा संबंध भगवान हनुमान जी से है।
मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें, सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
मंत्र: “ॐ हं हनुमते नमः॥”
यह उपाय मंगल दोष को शांत करता है और आत्मबल बढ़ाता है।
रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप
भगवान शिव की कृपा से कोई भी ग्रहदोष शांत हो सकता है।
“महामृत्युंजय मंत्र” का प्रतिदिन 108 बार जप करें —
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”
इससे मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
मंगल से संबंधित दान
मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के लिए दान करना अत्यंत शुभ माना गया है।
दान में लाल वस्त्र, लाल मसूर, तांबे की वस्तु, और गुड़ शामिल करें।
यह दान मंगलवार के दिन किसी योग्य ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को करें।
रत्न धारण और मंत्र जप
मंगल के शुभ फल प्राप्त करने के लिए मूंगा रत्न (Red Coral) धारण किया जा सकता है।
इसे तांबे की अंगूठी में जड़वाकर मंगलवार के दिन धारण करें और मंत्र जप करें —
“ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः॥”
मंगल दोष निवारण पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान कौन-सा है?
मंगलनाथ मंदिर – उज्जैन (म.प्र.): यहाँ भगवान मंगल की जन्मभूमि मानी जाती है। यह स्थान मंगल ग्रह की शांति के लिए सबसे प्रभावशाली है। उज्जैन जैसे पवित्र स्थल पर कराई गई मंगल दोष पूजा न केवल दोष को शांत करती है,
बल्कि व्यक्ति के जीवन में शुभता, सौभाग्य और स्थिरता भी लाती है।
उज्जैन में मंगल दोष पूजा बुकिंग कैसे करें?
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