मंगल भात पूजा क्या है?

मंगल भात पूजा क्या है?

जिस जातक की कुंडली में मंगल ग्रह चतुर्थ, सप्तम, अष्टम औरद द्वादश भाव में कहीं भी स्थित हो, उसे मांगलिक कहा जाता है। इसलिए मांगलिक कुंडली वालों को विवाह में भात पूजा करने की सलाह दी जाती है। भात का अर्थ चावल है। भात पूजा में चावल से मंगलदेव की पूजा की जाती है। इसलिए जिस भी जातक की कुंडली में मांगलिक दोष (मंगलदोष उपाय) है, उसे शादी से पहले भात पूजा जरूर करना चाहिए।

मंगल भात पूजा करना बहुत जरूरी माना जाता है। अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल के साथ-साथ कोई और भी दोष है, तो भात पूजन करने से लाभ हो सकता है। इससे दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है और आपसी प्रेम भी बना रहता है। साथ ही दांपत्य जीवन में आने वाली सभी परेशानियां भी कट जाती है। इसलिए भात पूजन करना महत्वपूर्ण माना जाता है।

मंगल मेष एवं वृश्चिक राशि के स्वामी हैं, इसलिए जिन व्यक्तिओ बहुत क्रोध आता है या मन ज्यादा अशांत रहता है उसका कारण मंगल ग्रह की उग्रता माना जाता और यह मंगल भात पूजा कुंडली में विद्धमान मंगल ग्रह की उग्रता को कम करने के लिए की जाती है।

मंगल भात पूजा क्या है?

मांगलिक दोष के कारण विवाह जीवन में कलह, अशांति जैसी समस्याएं हो सकती हैं। मांगलिक दोष को दूर करने के लिए कई तरह के उपाय गए हैं, जिसमें से एक भात पूजन भी है। मंगल नाथ मंदिर में भगवान मंगल की पूजा होती है, जो की मंगल ग्रह के उग्र प्रभाव को सकारत्मक तरीके शांत करके के काम आती है, और यही पूजा मंगल भात पूजा कहलाती है।

इस पूजा मे भगवान मंगल नाथ जी को भात से श्रृंगारित एवं पूजित किया जाता है,जो भी व्यक्ति मांगलिक हैं, उन्हें विवाह से पहले भात पूजा जरूर करवाना चाहिए। इस पूजा में सबसे पहले भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा भी की जाती है और इसके बाद नवग्रह पूजन होता है। उसके बाद कलश पूजन और शिवलिंग रूपी भगवान का पंचामृत से पूजा और अभिषेक किया जाता है। इस दौरान वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।

मंगल भात पूजा किसको करवानी चाहिए ?

वैदिक ज्योतिष शस्त्र के अनुसार यदि किसी जातक के जन्म कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें घर में मंगल हो तो ऐसी स्थिति में पैदा हुआ जातक मांगलिक कहा जाता है। यह स्थिति विवाह के लिए बहुत अशुभ मानी जाती है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक मांगलिक को दूसरे मांगलिक से ही विवाह करना चाहिए. अर्थात यदि वर और वधु दोनों ही मांगलिक होते है तो दोनों के मंगल दोष एक दूसरे से के योग से समाप्त हो जाते है.

किसी कारण से ज्ञात नहीं हो पाता है, और किसी एक की कुंडली में मंगल दोष हो तो मंगल भात पूजा अवस्य करवा लेनी चाहिए. मंगल दोष एक ऐसी विचित्र स्थिति है, जो जिस किसी भी जातक की कुंडली में बन जाये तो उसे बड़ी ही अजीब और दुखमय परिस्थिति सामना करना पड़ता है जैसे संबंधो में तनाव व बिखराव, घर में कोई अनहोनी व अप्रिय घटना, कार्य में बेवजह बाधा और असुविधा तथा किसी भी प्रकार की क्षति और दंपत्ति की असामायिक मृत्यु का कारण मांगलिक दोष को माना जाता है.

अगर किसी मनुषय की जन्म कुंडली मे इस प्रकार की परिस्थिति बनती है या वह अपने दैनिक जीवन मे काफी परेशान रहते है उनको अवश्य ही यह पूजा करवानी चाहिए जिससे वह अपने वैवाहिक जीवन मे आने वाली परेशानियों से मुक्त हो सके।

मंगल भात पूजा का महत्व

मंगल को ग्रहों का सेनापति कहा जाता है और इसकी प्रकृति उग्र होती है। कुंडली में मंगल दोष होने पर व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। भात पूजन से मंगल दोष के दुष्प्रभाव कम होते हैं और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है। भात पूजन से घर में शांति और समृद्धि आती है। मंगल ग्रह स्वास्थ्य से भी जुड़ा होता है। भात पूजन से व्यक्ति स्वस्थ रहता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।

मंगल भात पूजा कहाँ होती है?

मंगल भात पूजा के लिए उज्जैन ही सबसे उचित स्थान माना जाता है, मंगलनाथ मंदिर में पूजा-पाठ अवश्य करवाए, जैसा की उज्जैन को पुराणों में मंगल की जननी कहा जाता है इस लिए मंगल दोष को निवारण के लिए मंगल भात पूजा को उज्जैन में ही करवाने से अभीस्ट पुण्य एवं फल प्राप्त होता है.

यदि आप भी उज्जैन मे भात पूजा या और कोई अन्य पूजा बिना किसी परेशानी के करवाना चाहते है तो पंडीत हरिओम शर्मा जी से संपर्क कर सकते है। पंडित जी  उज्जैन के सबसे प्रतिष्ठित पंडितों में से एक हैं। उन्हें विशेष रूप से मंगल दोष पूजा और अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है। उनके पास ज्योतिष और मंगल दोष पूजा का 25 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उनकी सटीक भविष्यवाणियों और गहन ज्योतिषीय ज्ञान के कारण लोग उन पर पूरा विश्वास करते हैं।

अपनी कुंडली परामर्श और किसी अन्य प्रकार की जानकारी हेतु अभी पंडित जी से बात करें।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *