कुम्भ विवाह पूजा उज्जैन
कुंडली में मांगलिक दोष पाये जाने पर होने वाली विवाह संबन्धित समस्याओं के समाधान के लिए 15 वर्षों से अधिक अनुभवी और श्रेष्ठ पंडित हरिओम शर्मा जी से संपर्क करें और कुम्भ विवाह पूजा बुक करें।
कुम्भ विवाह क्या है ?
वैदिक ज्योतिषीय में कुम्भ विवाह तब देखने को मिलता है जब किसी कन्या की कुंडली में मांगलिक दोष पाया जाता है। ऐसी स्थिति में विशेष रूप से विवाह में बाधाएं आती हैं या वैवाहिक जीवन में कष्ट हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि मांगलिक दोष का समाधान न किया जाए, तो विवाह के बाद जीवनसाथी को स्वास्थ्य, आर्थिक या मानसिक कष्ट का सामना करना पड़ सकता है। हिंदू ज्योतिष के अनुसार, मांगलिक दोष वाले व्यक्ति के साथ विवाह करने से उनके जीवनसाथी को कई प्रकार की समस्याओं एवं कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, जीवनसाथी की अकाल मृत्यु भी हो सकती है। कुम्भ विवाह के जरिए, व्यक्ति पहले एक प्रतीकात्मक विवाह करता है, जिसके अंतर्गत कन्या का विवाह विधिवत रूप से घड़े (विष्णु भगवान ) के साथ कराया जाता है। यह माना जाता है कि इस विवाह के बाद कुंडली से दोष समाप्त हो जाता है और कन्या अपने जीवनसाथी के साथ सुखद वैवाहिक जीवन व्यतीत कर सकती हैं।

कुम्भ विवाह पूजा विधि
कुम्भ विवाह विधिवत रूप से वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार होता है। यह विवाह मुख्य रूप से किसी कन्या के जीवन में मांगलिक दोष के कारण विवाह मे आ रही बाधाओं को समाप्त करने के लिए किया जाता है। निम्नलिखित विधियों द्वारा यह विवाह सम्पन्न कराया जाता है :-
घट या कुम्भ का चयन:
सर्वप्रथम कुम्भ या घट (मिट्टी, तांबे या पीतल का बर्तन) को भगवान विष्णु का रूप मानकर विवाह के लिए चयन किया जाता है।पूजा और मंत्रोच्चार:
उज्जैन के श्रेष्ठ एवं अनुभवी पंडित द्वारा विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है और पूजा की जाती है। इसमें मंगल ग्रह के शांत करने के लिए विशेष मंत्र पढ़े जाते हैं।विवाह रश्में :
कुम्भ (घड़े) को दूल्हा मानते हुए दुल्हन (जिसकी कुंडली में मांगलिक दोष है) के साथ विवाह की रस्में निभाई जाती हैं। इसमें मंगलसूत्र पहनाना, फेरे लेना और अन्य परंपरागत हिंदू विवाह की प्रक्रिया शामिल होती है।घट का विसर्जन:
विवाह विधि सम्पन्न होने के बाद उस कुम्भ (घड़े) को किसी पवित्र नदी, जलाशय या स्थान में विसर्जित कर दिया जाता है। यह प्रतीकात्मक रूप से अशुभ दोषों के निवारण का प्रतीक है।
कुम्भ विवाह क्यों किया जाता है?
मांगलिक दोष का निवारण :- जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ स्थिति में होता है तो इसे मांगलिक दोष कहा जाता है। मांगलिक दोष वाले व्यक्ति के विवाह में कई समस्याएँ आती है, तथा विवाह के बाद भी समस्याएं हो सकती हैं, या जीवनसाथी को कष्ट का सामना करना पड़ सकता है। इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए ये विवाह किया जाता है।
विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करना :- मांगलिक दोष के कारण कई बार व्यक्ति का विवाह टूट जाता है या बहुत समय तक नहीं हो पाता है। कुम्भ विवाह इस बाधा को दूर करने और विवाह के लिए शुभ योग बनाने में मदद करता है।
जीवनसाथी की सुरक्षा :- ऐसा माना जाता है कि मांगलिक दोष के नकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति के जीवनसाथी को शारीरिक, मानसिक या आर्थिक कष्ट का सामना करना पड़ सकता है। कुम्भ विवाह के माध्यम से यह अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है और व्यक्ति का जीवनसाथी सुरक्षित रहता है।
पिछले कर्मों के दोष का शमन :- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह भी कहा जाता है कि पिछले जन्म के अशुभ कर्म या अधूरी जिम्मेदारियों के कारण मांगलिक दोष उत्पन्न होता है। कुम्भ विवाह इस दोष को शांत करने के लिए किया जाता है।
आध्यात्मिक संतुलन :- कुम्भ विवाह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने और मांगलिक दोष से जुड़ी नकारात्मकता को समाप्त करने का एक प्रभावी उपाय माना जाता है। इसे आध्यात्मिक और ज्योतिषीय शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है।
कुम्भ विवाह पूजा में कितना खर्च आता है?
कुम्भ विवाह पूजा का खर्च : स्थान, पूजा की जटिलता, और पंडित जी की दक्षणा पर निर्भर करता है। उज्जैन जैसे धार्मिक स्थलों में आमतौर पर इसका खर्च ₹2,100 से शुरू होता है। पूजा का खर्च पूजा कराने वाले पंडित जी की विशेषज्ञता और पूजा की अवधि के आधार पर भी निर्भर करता है। iइसकी सटीक जानकारी के लिए उज्जैन के अनुभवी पंडित हरिओम शर्मा जी से नीचे दिये गए नंबर पर संपर्क करें।
उज्जैन में कैसे कराएँ कुम्भ विवाह?
उज्जैन में कुम्भ विवाह कराने के लिए सबसे पहले उज्जैन के अनुभवी पंडित हरिओम शर्मा जी से संपर्क करें, ओर अपनी पूजा बुक करें। पंडित हरिओम शर्मा को मुख्य दोष निवारण पूजाओं का 15 वर्षों से अधिक अनुभव प्राप्त है। पंडित जी विशेष रूप से मंगल दोष निवारण और इससे संबन्धित पूजाओं के लिए प्रसिद्ध है। अपनी पूजा बुक करने के लिए नीचे दिये गए नंबर पर अभी कॉल करें
कुम्भ विवाह के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न
कुम्भ विवाह पूजा को विधिवत रूप से संपन्न होने में लगभग 3 से 4 घंटे का समय लग सकता है।
उज्जैन और अन्य धार्मिक स्थलों मेंआमतौर पर इस पूजा का खर्च ₹2100 से शुरू होता है। पूजा खर्च पूजा की जटिलता, पंडित जी और दक्षिणा पर भी निर्भर करता है।
यह पूजा उज्जैन के प्रसिद्ध मंगलनाथ मंदिर मे होती है।
जब किसी पुरुष की जन्म कुंडली मे मांगलिक दोष या दो विवाह के योग होते है तो ऐसी स्थिति में कुम्भ विवाह कराया जाता है।