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केमद्रुम दोष वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण दोष है, जिसे अशुभ और प्रभावशाली दोषों में से एक माना जाता है। यह दोष तब बनता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा के चारों ओर (द्वितीय और द्वादश भाव) कोई ग्रह उपस्थित नहीं होता, और चंद्रमा अकेला हो जाता है। इसे “अकेला चंद्रमा” योग भी कहा जाता है। केमद्रुम दोष चंद्रमा की कमजोर स्थिति और उसके अकेलेपन के कारण उत्पन्न होता है, जो व्यक्ति के जीवन में आर्थिक, मानसिक, शारीरिक और सामाजिक समस्याएं ला सकता है। इस दोष का प्राभव व्यक्ति के जीवन पर बहुत गहरा पड़ सकता है। हालांकि, इसके प्रभाव चंद्रमा की स्थिति, कुंडली में अन्य ग्रहों और व्यक्ति की अंतर्दशा पर भी निर्भर करते हैं।

केमद्रुम दोष निवारण पूजा एक विशेष वैदिक अनुष्ठान है, जो चंद्रमा के अशुभ और नकारात्मक प्रभावों को शांत करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए किया जाता है। विशेष रूप से यह पूजा चंद्रमा को मजबूत करने और केमद्रुम दोष के कारण उत्पन्न समस्याओं को कम करने के लिए की जाती है।
पूजा में उपयोग के लिए विभिन्न सामग्री एकत्र करें:- सफेद फूल, चावल, कच्चा दूध, शहद, घी, दही, मिश्री, चांदी का चंद्रमा (अभिषेक के लिए)
पूजा की शुरुआत गणपति वंदना और शिव आराधना से करें।
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